Sunday, January 30, 2011

Mera Bhagwaan


Mera Bhagwaan

देखा न कभी उसे, पर बात जरूर की है
जानना चाहा सब कुछ, फिर भी कुछ बाकी है 
ढूँढा राहों मे चलते हुए, बैठा होगा कोने मे कहीं 
दिन गुज़रा भटकते हुए,  इंतज़ार मिलने का यहीं 
थक कर अभी बैठे -बैठे, पूरा दिन आँखों मे छाया
मिले थे राहों मे कई, पर याद वही आया 
वही तो था जो कहीं, छोटी सी ख़ुशी बनके आया 
इतनी दौड़ धुप मे भी, चेहरे पर मुस्कान लाया 
रह गया पीछे आज राहो मे, मिलेगा वो कल यहीं 
चेहरा चाहे बदल जाये, सीरत उसकी रहेगी वहीं
 कोशिश कर पाया जिसे, भगवान् तो मेरा वहीं है
 मंदिर मे बैठता नहीं, इंसानों के रूप मे यही है  

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