Sunday, March 27, 2011

फैसला .....


मुश्किल हुई पहचान
बदला बदला है इंसान 
भागता समय बदलती राते 
खोया मन जगी सी राते

मन मे बैठा अँधेरा सा 
छुपा जीवन घनेरा सा 
कुछ कहना, कभी चुप रहना  
कठिन लगता धीरे चलना 

कभी तो अपना,
लगता कभी वो पराया सा 
वादा किया था निभाने का ,
रिश्ता कुछ अनजाना सा 
कहती दुनिया तोड़ दो यह बंधन 
लगता वह कुछ ठीक नहीं 
मिलवाया था एक दिन उपरवाले ने ही
फैसला गलत उसका होता नहीं  |

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